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समाज में बढ़ती अमानवीयता एक गंभीर विषय है

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समाज में बढ़ती अमानवीयता एक गंभीर विषय है स माज में बढ़ती अमानवीयता एक गंभीर और चिंताजनक विषय है जो आज के दौर में हमारे सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। अमानवीयता का अर्थ है मनुष्य के भीतर से मानवीय गुणों का लोप होना, जिसमें दया, करुणा, सहानुभूति, प्रेम, और दूसरों के प्रति सम्मान जैसे मूल्यों का अभाव होता है। यह समस्या केवल किसी एक देश या समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैलती जा रही है। आधुनिकता, प्रौद्योगिकी, और भौतिकवाद के इस युग में मनुष्य के जीवन में कई बदलाव आए हैं, लेकिन इन बदलावों के साथ-साथ उसके भीतर से मानवीयता का ह्रास भी होता जा रहा है। इसका प्रभाव समाज के हर वर्ग और हर उम्र के लोगों पर दिखाई दे रहा है। समाज में बढ़ती अमानवीयता के कई कारण हैं। पहला और प्रमुख कारण है भौतिकवाद की अत्यधिक प्रधानता। आज का मनुष्य धन, सुख, और सुविधाओं के पीछे इतना अधिक भाग रहा है कि उसके पास दूसरों के लिए समय और सहानुभूति नहीं बची है। वह केवल अपने स्वार्थ और लाभ के बारे में सोचता है और दूसरों की पीड़ा और समस्याओं को नजरअंदाज कर देता है। इससे समाज में स्वार्थपरता बढ़ती जा रही ह...